शेरानी आबाद: एक नजर
शेरानी आबाद: एक नजर
मुल्क-ऐ-हिंदुस्तान में राजस्थान सूबे के नागौर जिले मे नेशनल हाईवे 458 पर बसा गांव शेरानी आबाद अपने आप में बहुत सारी विभिन्नताएं एकता और खूबियां लिए हुए है मुगल सल्तनत के दौर में अफगानिस्तान से आये एक बहादूर कबीले ने साफ़ सुथरी जगह देख़ कर पड़ाव डाला था जिस जगह को वर्तमान में शेरानी आबाद कहा जाता है दुनिया की बहतरीन और मजबूत लड़ाकू बहादूर कोम के बासीन्दे पठानों ने लड़ाई झगड़े का दामन छोड़ कर सूफीज्म की पैरोकारी कबूल की और अमन मोह्हबत सकून के दरिये बहा दिए मजबूत कद काठी के पठानों ने खेती बाड़ी को अपना जीवनयापन का जरिया बनाया, धीरे धीरे यहाँ के रेगिस्तानी माहौल को देख कर अपना काम काज के एरिया बढ़ाते रहे खेती बाड़ी से आगे चल कर जानवरो की खरीद फरोख्त का काम किया शुरुआती दौर में थोड़ी मुश्किल हुई पर ईमानदारी से काम काज कर के लोगो का भरोषा जीता। यहाँ के माहौल से और तंगदस्ती से तंग आकर मध्य प्रदेश की तरफ रुख किया कहते हे न की मेहनती लोग कही भी अपना आशियाने बना सकते हे कही भी काम शुरू कर सकते हे बहुत सारे लोग मेड बाँधने कुवा खोदने वाले काम में लग गए और ठेकेदारी करने लग गए बहुत साल तक वाह काम किया और उसके बाद वापस राजस्थान का रुख किया, राजस्थान में वही बात रेगिस्तान पानी की कमी आंधियां ही आंधियां इन चीजों से परेसान होकर गल्फ की तरफ जाने लगे फोरमेन सुपरवाइज़र गार्ड लेबर की नोकरी की ,काम में इतने सलंग्न थे कंपनियां निजी तौर पर शेरानी पठानों की मांग करने लग गयी , आज भी गल्फ में अछि अछि बड़ी कंपनीज़ में फोरमेन सुपरविज़र ठेकेदारी में शेरानी पठान अछि पोस्ट पर कार्यत हे आज के दौर में शेरानी आबाद भारत का सबसे ज्यादा पैसे कमाने वाला गांव हे गल्फ से आज के इस दौर में देहात से सबसे ज्यादा इंजीनियर डॉक्टर बन रहे तो शेरानी आबाद से कोम को देहात से सबसे ज्यादा मौलवी और मुफ़्ती दिए है तो शेरानी आबाद ने। सेकड़ो बन्द पड़े मदारिस मसाजिद को फिर से चालु करने का काम भी शेरानी आबाद की कमेटियां देखती है डॉक्टरी इंजीनयर मेडिकल लाइन में काफी मजबूती से खड़ा हो रहा है शेरानी आबाद दिनी तालीम में शेरानी आबाद ने जो मुकाम हासिल किया है ने वा वाकई काबिल ऐ तारीफ़ हे। आज की तारीख में 100%साक्षरता वाला गांव हे शेरानी आबाद हे खेतिहरवर्ग से होने के बाद भी गांव में कोई बंधुआ मजदूर नही मिलेगा शायद फिर वो तक़दीर मिल जाये
जीवन के वो हसीं पल मिल जाये
चल फिर से बैठें वो क्लास कि लास्ट बैंच पे
शायद फिर से वो पुराने दोस्त मिल जाएँ
मुल्क-ऐ-हिंदुस्तान में राजस्थान सूबे के नागौर जिले मे नेशनल हाईवे 458 पर बसा गांव शेरानी आबाद अपने आप में बहुत सारी विभिन्नताएं एकता और खूबियां लिए हुए है मुगल सल्तनत के दौर में अफगानिस्तान से आये एक बहादूर कबीले ने साफ़ सुथरी जगह देख़ कर पड़ाव डाला था जिस जगह को वर्तमान में शेरानी आबाद कहा जाता है दुनिया की बहतरीन और मजबूत लड़ाकू बहादूर कोम के बासीन्दे पठानों ने लड़ाई झगड़े का दामन छोड़ कर सूफीज्म की पैरोकारी कबूल की और अमन मोह्हबत सकून के दरिये बहा दिए मजबूत कद काठी के पठानों ने खेती बाड़ी को अपना जीवनयापन का जरिया बनाया, धीरे धीरे यहाँ के रेगिस्तानी माहौल को देख कर अपना काम काज के एरिया बढ़ाते रहे खेती बाड़ी से आगे चल कर जानवरो की खरीद फरोख्त का काम किया शुरुआती दौर में थोड़ी मुश्किल हुई पर ईमानदारी से काम काज कर के लोगो का भरोषा जीता। यहाँ के माहौल से और तंगदस्ती से तंग आकर मध्य प्रदेश की तरफ रुख किया कहते हे न की मेहनती लोग कही भी अपना आशियाने बना सकते हे कही भी काम शुरू कर सकते हे बहुत सारे लोग मेड बाँधने कुवा खोदने वाले काम में लग गए और ठेकेदारी करने लग गए बहुत साल तक वाह काम किया और उसके बाद वापस राजस्थान का रुख किया, राजस्थान में वही बात रेगिस्तान पानी की कमी आंधियां ही आंधियां इन चीजों से परेसान होकर गल्फ की तरफ जाने लगे फोरमेन सुपरवाइज़र गार्ड लेबर की नोकरी की ,काम में इतने सलंग्न थे कंपनियां निजी तौर पर शेरानी पठानों की मांग करने लग गयी , आज भी गल्फ में अछि अछि बड़ी कंपनीज़ में फोरमेन सुपरविज़र ठेकेदारी में शेरानी पठान अछि पोस्ट पर कार्यत हे आज के दौर में शेरानी आबाद भारत का सबसे ज्यादा पैसे कमाने वाला गांव हे गल्फ से आज के इस दौर में देहात से सबसे ज्यादा इंजीनियर डॉक्टर बन रहे तो शेरानी आबाद से कोम को देहात से सबसे ज्यादा मौलवी और मुफ़्ती दिए है तो शेरानी आबाद ने। सेकड़ो बन्द पड़े मदारिस मसाजिद को फिर से चालु करने का काम भी शेरानी आबाद की कमेटियां देखती है डॉक्टरी इंजीनयर मेडिकल लाइन में काफी मजबूती से खड़ा हो रहा है शेरानी आबाद दिनी तालीम में शेरानी आबाद ने जो मुकाम हासिल किया है ने वा वाकई काबिल ऐ तारीफ़ हे। आज की तारीख में 100%साक्षरता वाला गांव हे शेरानी आबाद हे खेतिहरवर्ग से होने के बाद भी गांव में कोई बंधुआ मजदूर नही मिलेगा शायद फिर वो तक़दीर मिल जाये
जीवन के वो हसीं पल मिल जाये
चल फिर से बैठें वो क्लास कि लास्ट बैंच पे
शायद फिर से वो पुराने दोस्त मिल जाएँ
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